Osho quotes in hindi
नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपके लिए गुरु रजनीश ओशो के पसंदीदा osho quotes in hindi या ओशो के अनमोल विचार लेकर आया हूं।अगर आपको ओशो के विचार अच्छे लगे तो आप इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें । वैसे तो आप सभी ओशो को जानते हैं फिर भी मैं बता देता हूं कि ओशो जिनका वास्तविक नाम रजनीश है जिनको पूरी दुनिया आध्यात्मिक, दार्शनिक, धार्मिक गुरु से जानती है ।
Osho quotes in hindi |
सुख का लालच ही नए दुख को जन्म देता है।
बड़ा मुश्किल है उस इंसान को समझना,जो जानता सब कुछ है पर बोलता कुछ भी नहीं।
Osho quotes in hindi |
इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र किसी की पहचान के मोहताज नहीं। ये चारों अपना परिचय स्वयं देते है।
प्रेम तो एक तरफा ही होता है।दो तरफा तो सिर्फ व्यापार होता है।
कांटों को समझने के लिए बुद्धि काफी है।फूलों को समझने के लिए तो हृदय चाहिए।
जितनी जल्दबाजी करते हो,उतने ही अशांत हो जाते हो।
सबसे ज्यादा गरीब वह है,जिसकी खुशियाँ दूसरों कीअनुमति पर निर्भर करती है।
जितने तुम चतुर होते जाते हो।उतना ही तुम्हारा हृदय मरता जाता है।
हमेशा याद रखना जीभ कभी नहीं फिसलती है।दिमाग में जो चल रहा है वह हमेशा जीभ पर आता है।
Osho quotes in hindi |
सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी जो स्वयं को नहीं जानता। उसका सारा ज्ञान निर्थक है।
संसार को दोष मत दो अपने मन को समझो,मन ही तुम्हारा असली संसार है।
विचार से कोई उत्तर ना कभी मिल सकता है,ना मिला है, उत्तर तो निर्विचार से ही आता है।
आदमी खोपड़ी में जी रहा है।ह्रदय का कुछ पता ही नहीं है।
जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तोहर चीज साफ और स्पष्ट हो जाती है।
खुशियों के लिए साधन की नहीं,संतोष की जरूरत होती है।
स्वभाव में चले जाना धार्मिक हो जाना है।स्वभाव के बाहर भटकते रहना अधार्मिक बने रहना है।
जो शेष बची है। उसे ही विशेष बनाइये।अन्यथा अवशेष तो होना ही है।
आप की तकलीफे आप से दूर नहीं हो सकती।आप अपनी तकलीफो से दूर हो सकते हो।
तनाव का अर्थ है किआप कुछ और होना चाहते है।जो की आप नहीं है।
बाहर प्यास ही प्यास है, जरा भी तृप्ति नहीं और भीतर तृप्ति ही तृप्ति है, जरा भी प्यास नहीं।
जो “जानता” है वो जानता है किबताने की कोई जरूरत नहीं, जानना काफ़ी है।
Best osho quotes in hindi
यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हकीकत बनाने में लगा है।
आदमी का दुख न सुविधा से मिटता है, न धन से मिटता, न पद से, न प्रतिष्ठा से। आदमी का दुख आत्म-जागरण से मिटता है।
वही पुरुष, स्त्री के प्रेम के लिए राजी हो सकता है।जो अहंकार को छोड़ने को राजी हो।
जिससे मिलने के बाद जीने की उम्मीद बढ़ जाएगी, समझना वो ही प्रेम है।
प्रेम के विरोध में सारा संसार है औरप्रेम का भूखा भी सारा संसार है।
जगत में केवल वे ही दरिद्र है..जिनके हृदय में प्रेम नहीं है।
बिना प्यार के इंसान बस एक शरीर है।
समझौता करना कायरता है।सत्य कभी समझौता नहीं करता।
तुम प्रेम से भरे हुए हो तो,दुनिया भगवान से भरी हुए है।
प्रेम का अनुभव ही परमात्मा का प्रमाण है। कहीं भी प्रेम की झलक मिल जाये। तो निश्चित हो जाना की परमात्मा है।
नफरत का खुद का कोई अस्तित्व नहीं होता। वह केवल प्रेम की गैरहाजिरी का परिणाम है।
सत्य को हम जानना चाहते है लेकिन जीना नहीं चाहते क्योंकि जानना आसान है, जीना मुश्किल।
जीवन तो सबको मिल जाता है।लेकिन जीना बहुत कम को आता है।
जिस दिन से यह जिंदगी व्यर्थदिखाई पड़नी शुरू जो जाए,उस दिन असली जिंदगी शुरू होगी।
खुद में जीवन का कोई अर्थ नहीं।जीवन अर्थ बनाने का अवसर है।
बढ़ती हुई समझ जीवन को मौन की ओर ले जाती है।
जिंदगी तो सस्ती है।बस गुजारने के तरीके महंगे है।
जिंदगी का आधा दुख गलत लोगो से उम्मीद रखने से आता है, और बाकी का दुख सच्चे लोगो पर शक करने से आता है।
जीवन कोई श्रासदी नहीं है। ये एक हास्य है। जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना।
दिखावे का जीवन जीना बहुत कष्टदायक होता है। क्योंकि इंसान की वास्तविकता कुछ और होती है और वो दुनिया को कुछ और दिखाना चाहता है।
कोई सूत्र पकड़ कर चलने कीजीवन में जरूरत नहीं है,क्योंकि परिस्थिति रोज बदल जाती है।
जीवन ठहराव और गति के बीच एक संतुलन है।
ध्यान तुम्हें प्रेम के योग्य बनाता है औरप्रेम तुम्हें ध्यान के योग्य बनाता है।
ध्यान में वो ही उतर सकता है। जो गहरे प्रेम में उतर चुका हो क्योंकि बिना प्रेम के ध्यान सम्भव नहीं।
ध्यान है तो जीवन सत्य है,ध्यान है तो गृहस्थी में भी सन्यास है।
जागने की विधि का नाम ही ध्यान है।ध्यान रहे, उतना ही मिलता है जितना तुम ले सकते हो।
ध्यान रखना, अकेले आना है, अकेले जाना है, तो बीच के ये थोड़े दिन भीड़ से बहुत ज्यादा अपने को मत भरो।
ध्यानी जिंदगी के प्रत्येक क्षण का उपयोग करता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक।
जो भी समस्या आये ध्यान करते रहना।धीरे-धीरे हर समस्या विदा हो जाएगी।
कभी भी अपने दुख पर ज्यादा ध्यान मत दो, क्योंकि ध्यान भोजन के समान है। आप जितना ध्यान देते हो तो वो चीज़ उतनी ही मजबूत होती जाती है।
विज्ञान बाहर की समस्याओ को हल करता हैऔर ध्यान भीतर की समस्याओ को हल करता है।
जो व्यक्ति सदा मृत्यु बोध में जीता है। उसे किसी अन्य ध्यान की जरूरत नहीं है।
Osho quotes in hindi
बुरा वक्त एक ऐसी तिजोरी है,जहां से सफलता के हथियार मिलते है।
जितना ज्यादा गलतियां हो सके उतनी ज्यादा गलतियां करो। बस एक बात रखना फिर से वही गलती मत करना और देखना, तुम प्रगति कर रहे होगे।
दूसरों की इतनी चिंता मर करोक्योंकि यह चिंता तुम्हारे अपनेविकास को विचलित करेगी।
हमेशा मुस्कराते रहिए,कभी अपने लिए तोकभी अपनों के लिए।
जब आप हंस रहे होते है, तो ईश्वर की ईबादत कर रहे होते है। और जब आप किसी को हँसा रहे होते है, तो ईश्वर आपके लिए ईबादत कर रहा होता है।
गुरु के चेहरे को जिसने पहचान लिया।उसने बड़े से बड़ा कदम उठा लिया।
गुरु के ऋण से मुक्त होने का एक ही उपाय है।जो तुमने गुरु से पाया है उसे दूसरों में बाँट देना।
चिंता करना मतलब ईश्वर की व्यवस्था पर शक करना
स्त्री परिभाषा है प्रेम की। तुमने स्त्री को जान लिया, समझ लो प्रेम को जान लिया, प्रेम को पा लिया।
कृष्ण अकेले ही ऐसे व्यक्ति है जो धर्म की परम गेहराइयों और उचांइयों पर होकर भी गंभीर नहीं है, उदास नहीं है, रोते हुए नहीं है।
जीवन में जो भी करो, पूर्ण समपर्ण के साथ करो। प्रेम करो तो मीरा की तरह, प्रतीक्षा करो तो शबरी की तरह।
एक ही पाप है इस दुनिया में, किसी दूसरे की स्वतंत्रता को छीनना क्योंकि दूसरे को बदलना राजनीति है और स्वयं को बदलना धर्म है।
जितना शिक्षित व्यक्तित्व होगा, उतना संदेह बढ़ जाएगा। क्योंकि शिक्षा के साथ प्रश्न उठते ही है। उठने ही चाहिए, नहीं तो शिक्षा आगे नहीं बढ़ सकती।
मृत्यु का कारण कोई रोग या दुर्घटना नहीं बल्कि “जन्म” है।
मौत सबको आती है,जीना सबको नहीं आता।
केवल मनुष्य ही रोता हुआ पैदा होता है, शिकायतें करता हुआ जीता है और निराश ही मर जाता है।
मौत के रहते भी आदमी अभिमानी है। ये बड़ा आश्चर्य है।
केवल जब मौत तुम्हारे द्वार पर दस्तक देती है, तुम तभी सजग और सचेत हो सकते हो।
पृथ्वी में, मिट्टी में गिरकर मरना जीवन का अंत नहीं प्रारंभ है। लेकिन सोने के डिब्बे में ही बंद पड़े रहना जीवन का वास्तविक अंत है। उसमें कहीं भी जीवन की आशा नहीं है।
अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है और अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है।
समय कठोर शिक्षक है। वह इम्तहान पहले लेता है, शिक्षा बाद में देता है।
ज्ञान हमेशा मुक्त करता है।
अगर हार के बाद भी तुममौज में नाच रहे हो।तो जीत तुम्हारी हुई।
सम्मान की आकांक्षा वही करता है।जो अपनी नज़र में असम्मानित हो।
स्वयं की खोज करें, अन्यथा आपको अन्य लोगों की राय पर निर्भर रहना होगा। जो खुद को भी नहीं जानते है।
चित सरल हो, स्वतंत्र हो और शुन्य हो। वही अनंत की अनुभूति करता है और परमानंद में रहता है।
धार्मिक होना साधना है,धार्मिक दिखना अपने को सजाना है।
जहाँ पर डर खत्म होता है,वहाँ से जीवन शुरू होता है।
धारणा शब्द में होती है और सत्य मौन में होता है।
उदासी, उतना उदास नहीं करती। जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है।
जो आदमी स्वयं पर विश्वास करता है। वह स्वयं की शक्तियों को जरूर विकसित कर लेता है।
अध्यात्म का अर्थ दुनिया से दुरी नहीं होता। अध्यात्म का अर्थ मूर्खता से दुरी होता है।
शब्दों के जंगल, जंगलों से भी बड़े जंगल है।
भीड़ उनको ही पसंद करती है।जो उनके जैसे है, अनूठे को नहीं।
अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए। जीवन को मज़े के रूप में लीजिये क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।
तुम्हेंहें अगर कुछ हानिकारक करना हो, तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी। वरना तो प्रेम ही पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है।
मूर्ख दूसरों पर हंसते है, बुद्धिमान खुद पर।
मन एक सुन्दर नौकर है और एक खतरनाक स्वामी।
कभी भी अपने आँसुओं पर शर्म न करें। गर्व करें कि आप अभी भी स्वाभाविक है। गर्व करें कि आप अपने आँसुओं के माध्यम से अनुभवहीन को व्यक्त कर सकते है।
तुम भूल कर भी किसी और जैसेहोने की कोशिश मत करना।
मौन का अर्थ वाणी का अभाव नहीं। मौन का अर्थ “विचारों का अभाव” मन जब निर्विचार होता है। तब ही अनंत से जुड़ता है।
अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए है और आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते है। इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते है।
किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे है, एकदम सही है, खुद को स्वीकारिए।
श्रद्धा मूल्यवान है। पत्थर पर है या परमात्मा पर, यह गौण है। पत्थर पर भी हो सकती है और तब पत्थर भी परमात्मा का काम देने लगता है।
जो कुछ भी महान है, उस पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता. और यह सबसे मूर्ख बातों में से एक है जो मनुष्य करता है – मनुष्य अधिकार चाहता है.
अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है.अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है.
किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है. तुम जैसे हो अच्छे हो. अपने आप को स्वीकार करो
अनुशासन क्या है? अनुशासन का मतलब आपके भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना है. तुम तो एक अव्यवस्था, एक केऑस हो.
तुम जीवन में तभी अर्थ पा सकते हो जब तुम इसे निर्मित करते हो. जीवन एक कविता है जिसे लिखा जाना चाहिए. यह गाया जाने वाला गीत, किया जाने वाला नृत्य है.
कोई विचार नहीं, कोई बात नहीं, कोई विकल्प नहीं –शांत रहो, अपने आप से जुड़ो.
तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी वरना तो प्रेम पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है.
जब भी कभी तुम्हें डर लगे, तलाशने का प्रयास करो. और तुमको पीछे छिपी हुई मृत्यु मिलेगी. सभी भय मृत्यु के हैं. मृत्यु एकमात्र भय-स्रोत है.
एक भीड़, एक राष्ट्र, एक धर्म, एक जाति का नहीं पूरे अस्तित्व का हिस्सा बनो. अपने को छोटी चीज़ों के लिए क्यों सीमित करना सब संपूर्ण उपलब्ध है?
तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ. तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा. तुम शांत हो जाओगे – उसे यहीं पाओगे. तुम शांत हो जाओगे तो अपने को उसके साथ झूलते हुए पाओगे.
इससे पहले कि तुम चीजों की इच्छा करो, थोड़ा सोच लो. हर संभावना है कि इच्छा पूरी हो जाए, और फिर तुम कष्ट भुगतो.
कैद के अलावा कुछ भी दुःख नहीं है.
प्रेम एक आध्यात्मिक घटना है, वासना भौतिक. अहंकार मनोवैज्ञानिक है, प्रेम आध्यात्मिक.
शामिल करो और बढ़ो. शामिल करो और विस्तार करो.
Osho thought in hindi
जैसा हर महापुरुष के साथ होता रहा, वैसा ही मेरे {ओशो} साथ भी होगा. या तो मैं हमेशा के लिए भुला दिया जाऊंगा, या मुझे ईश्वर बना दिया जाएगा. किसी को भुला देना बुरा है, लेकिन किसी को ईश्वर बना देना भी कम बुरा नहीं.
धर्म और ईश्वर से साथ हमारा रिश्ता यूं समझिए कि कोई उंगली से इशारा करके रास्ता बता रहा है. और हम उस रास्ते पर चलने के बजाय उस उंगली की या बहुत से बहुत उस रास्ते की पूजा करने लगते हैं. हमने धार्मिक पुस्तकों, धर्मगुरुओं आदि के साथ भी यही किया है. यही ओशो के साथ भी करेंगे.
उसे पूजना बंद कीजिये. उसे ईश्वर मत बनाइए. उंगली नहीं रास्ता देखिये और उस पर चलिए. इसलिए आज हम आपको उनके वो 38 कथन पढ़वा रहे हैं जिनका जीवन में उतना ही महत्त्व है जितना ओशो का विश्व में. और फिर ओशो के कहे को पढ़ने के बाद, उससे प्रभावित होने के बाद ओशो को पूजना, उसे प्रेम करना बुरा नहीं. वो, जैसे लोग ‘माइकल जैक्सन’ या ‘शाहरुख़ खान’ को पूजते हैं. उनके काम के चलते. जानते हैं जबकि कि इनको पूजने से कोई इच्छा-पूर्ति नहीं होनी हमारी.