Paheliyan in hindi with answer
नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपको लिए नए पहेलियां या paheliyan in hindi with answer लेकर आया हूं।
इस पोस्ट में आपको सभी प्रकार की पहेलियां मिल जायेगी।
अगर आपको सभी हिन्दी पहेलियां उत्तर के साथ अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें । Visti this site http://www.examlabs.com/
राजा के महल में रानी पचास,
सिर पटके दीवार से,
जलकर होए राख |
एक गुफा के दो रखवाले,दोनों लंबे, दोनों काले |उत्तर – मूंछें
पहेली 3
बूझो भैया एक पहेली,
जब काटो तब नई नवेली |
उत्तर – पेंसिल
ऐसा रूम, जिसकी खिड़की ना
दरवाजा तो बताओ क्या ?
ऐसी कौन – सी जगह है, जहाँ पर सड़क है पर गाड़ी नहीं, जंगल है पर पेड़ नहीं और शहर है पर घर नहीं ?
एक ऐसा सवाल, जिसका जवाब कोई हाँ में नहीं दे सकता ?
उत्तर – क्या आप मर गए हैं ?
वह क्या है, जिसे आप एक बार खा कर दोबारा नहीं खाना चाहते हैं मगर फिर भी खाते हैं ?
ऐसी कौन – सी चीज है,
जिसे हम पानी के अंदर खाते हैं ?
ऐसी कौन – सी चीज है, जिसे लोग काटते हैं,
पीसते हैं और बाँटते हैं मगर खाते नहीं हैं ?
उत्तर – ताश के पत्ते
खुद कभी वह कुछ न खाए,
लेकिन सब को खूब खिलाए |
जब भी आए होश उड़ाए,
फिर भी कहते हैं कि आए !
पंख नहीं पर उड़ती हूँ,
हाथ नहीं पर लड़ती हूँ |
उत्तर :- पतंग
डब्बे पर डब्बा, डब्बे का गाँव,
चलती फिरती बस्ती है, लोहे के पाँव |
कमर पतली है, पैर सुहाने,
कहीं गए होंगे बीन बजाने |
बच्चों ! एक लाठी की सुनो कहानी,
छुपा है जिसमें मीठा – मीठा पानी |
अगर नाक पर मैं चढ़ जाऊँ,
तो कान पकड़कर खूब पढ़ाऊँ |
मेरे नाम से सब डरते हैं,
मेरे लिए परिश्रम करते हैं |
एक राजा की अनोखी रानी,
दुम के सहारे पीती पानी |
मैं मरती हूँ, मैं कटती हूँ |
पर रोते हो तुम, पहचानो कौन हूँ मैं |
काली काली माँ, लाल लाल बच्चे,
जहाँ जाए माँ, वहाँ जाए बच्चे |
ऊँट की बैठक, हिरन की चाल,
बोलो वह कौन है पहलवान |
आवाज है पर इंसान नहीं,
जुबान है पर निशान नहीं |
हरी डिब्बी, पीला मकान,
उसमें बैठे कालू राम |
बेशक न हो हाथ में हाथ,
जीता है वह आपके साथ |
कमर बाँध कोने में पड़ी,
बड़ी सबेरे अब है खड़ी |
तीन रंग की तितली,
नहा धोकर निकली |
एक प्लेट में 3 चम्मच |
हरी डंडी, लाल कमान,
तौबा – तौबा करे हर इंसान |
काला घोड़ा, सफेद सवारी,
एक उतरा तो दूसरे की बारी |
उत्तर – तवा और रोटी
मैं हरी, मेरे बच्चे काले,
मुझे छोड़, मेरे बच्चे खा ले |
उत्तर – इलायची
काले वन की रानी है,
लाल पानी पीती है |
एक पहेली मैं बुझाऊँ,
सिर को काट नमक छिड़काऊँ |
तीन अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा सीधा एक समान |
हजार लाख में रहे अँधेरा,
मात्र एक हीं में उजाला |
खड़ा पर भी खड़ा,
बैठने पर भी खड़ा |
कान मरोड़ो, पानी दूँगा,
मैं कोई पैसे नहीं लूँगा |
दिन में सोए, रात में रोए |
जितना रोए, उतना खोए |
एक घर में पचास चोर,
रहते हैं सब साथ-साथ |
हरा मकान, लाल दुकान,
और उसमें बैठता लल्लूराम |
न भोजन खाता, न वेतन लेता,
फिर भी पहरा डटकर देता |
भवनों से मैं नजर आता,
सब बच्चों को खूब भाता |
दूर का हूँ लगता मामा,
रूप बदलता पर दिल को भाता |
एक पाँव का काला मेंढक,
वर्षा काल में आता |
बहुत बरसता है जब पानी,
उपयोगी मैं बन जाता |
बिना पाँव पानी पर चलती,
बत्तख नहीं, ना पानी की रानी |
उसे न चाहिए सड़क या पटरी,
सिर्फ चाहिए गहरा पानी |
सात रोज में हूँ आता,
बालकों का हूँ चहेता |
वे करते हैं बस मुझसे प्यार,
नित्य करते हैं मेरा इंतजार |
रंग है उसका पीला,
तपाया है तो ढीला |
पीटा है तो फैला,
कीमती है तो छैला |
खबर लाता हूँ सुबह
नहीं लगाता हूँ देर मैं |
फेंक दिया जाता हूँ,
दूसरे दिन रद्दी के ढेर में |
बोल नहीं पाती हूँ मैं,
और सुन नहीं पाती |
बिना आँखों के हूँ अंधी,
पर सबको राह दिखाती |
तीन अक्षर का मेरा नाम,
बीच कटे तो रिश्ते का नाम |
आखिरी कटे तो सब खाए,
भारत के तीन तरफ दिखाए |
शुरू कटे तो कान कहलाऊँ,
बीच कटे तो मन बहलाऊँ |
परिवार की मैं करूँ सुरक्षा
बारिश, आँधी, धूप से रक्षा |
सोने की वह चीज है,
पर बेचे नहीं सुनार |
मोल तो ज्यादा है नहीं,
बहुत है उसका भार |
एक पेड़ की तीस है डाली,
आधी सफेद और आधी काली |
सफेद मुर्गी हरी पूँछ,
तुझे ना आए काले से पूछ |
छोटा हूँ पर बड़ा कहलाता,
रोज दही की नदी में नहाता |
चार ड्राइवर एक सवारी,
उसके पीछे जनता भारी |
उत्तर – मुर्दा
बीसों का सिर काट लिया,
ना मारा ना ख़ून किया |
एक पैर है, काली धोती,
जाड़े में वह हरदम सोती |
गरमी में है, छाया देती
सावन में वह हरदम रोती |
पगरी में भी, गगरी में भी,
और तुम्हारी नगरी में भी |
कच्चा खाओ, पक्का खाओ
शीश में मेरा तेल लगाओ |
लाल घोड़ा रुका रहे,
काला घोड़ा भाग जाए,
बताओ कौन ?
उत्तर – आग और धुँआ
वह पाले नहीं भैंस, ना गाय,
फिर भी दूध मलाई हीं खाए |
घर बैठे हीं वह करे शिकार,
रिश्ते में भी है, वह मौसी यार |
कटोरा पर कटोरा,
बेटा बाप से भी गोरा |
आगे ‘प’ है मध्य में भी ‘प’,
अंत में इसके ‘ह’ है |
पेड़ों पर रहता है,
सुर में कुछ कहता है |
नहीं सुदर्शन चक्र मगर,
मैं चकरी जैसा चलता |
सिर के ऊपर उल्टा लटका.
फर्श पर नहीं उतरता |
मध्य कटे तो सास बन जाऊँ,
अंत कटे तो सार समझाऊँ |
मैं हूँ पक्षी, रंग सफेद,
बताओ मेरे नाम का भेद |
उत्तर – सारस
सर्दी की रात मैं नभ से उतरूँ,
लोग कहते हैं मुझे मोती |
सूर्य का प्रकाश देखते हीं,
मैं गायब होती |
सात गांठ की रस्सी,
गांठ – गांठ में रस |
इसका उत्तर जो बताए,
उसको देंगे रूपए दस |
नकल उतारे सुनकर वाणी,
चुप-चुप सुने सभी की कहानी |
नील गगन है इसको भाए,
चलना क्या उड़ना भी आए |
राजा महाराजाओं के ये,
कभी बहुत आया काम |
संदेश इसने पहुचाएँ,
सुबह हो या शाम |
देखी रात अनोखी वर्षा,
सारा खेत नहाया |
पानी तो पूरा शुद्ध था,
पर पी न कोई पाया |
करती नहीं यात्रा दो गज,
फिर भी दिन भर चलती है |
रसवंती है, नाजुक भी,
लेकिन गुफा में रहती है |
पास में उड़ता-उड़ता आए,
क्षण भर देखूँ , फिर छिप जाए |
बिना आग के जलता जाए,
सबके मन को वह लुभाए |
छिलके को दूर हटाते जाओ,
बड़े स्वाद से खाते जाओ |
इतना पर अवश्य देखना,
छिलके इसके दूर हीं फेंखना |
आँखें दो हो जाए चार,
मेरे बिना कोट बेकार |
घुसा आँखों में मेरा धागा,
दर्जी के घर से मैं भागा |
एक हाथ है लकड़ी की डंडी,
बने हुए हैं इसमें आठ घर |
ज्यों-ज्यों हवा जाए उस भवन में,
त्यों-त्यों निकले हैं मीठे स्वर |
उत्तर – बाँसुरी
उड़ नहीं सकती मैं वायु में,
चल नहीं पाती सड़कों पर |
लेकिन लाखों पर्यटकों को,
पहुँचाती हूँ इधर-उधर |
बिन जिसके हो चक्का जाम |
पानी जैसी चीज है वह,
झट से बताओ उसका नाम |
मैं एक बीज हूँ,
तीन अक्षर है मेरे |
दो दल वाला अन्न हूँ,
दाल बनाकर खाते हो |
तरल हूँ पर पानी नहीं,
चिपचिपा हूँ गोंद नहीं |
मीठा हूँ पर चॉकलेट नहीं,
मधुमक्खियों द्वारा मैं बनता हूँ |
उत्तर – शहद
दो सुंदर लड़के,
दोनों एक रंग के |
एक बिछड़ जाए,
तो दूसरा काम न आए |
पढ़ने में, लिखने में,
दोनों में हीं आता काम |
कलम नहीं, कागज़ नहीं,
बताओ क्या है मेरा नाम |
बैठ तार में आती वह,
घर के दीप जलाती वह |
कई मशीनों का है वह प्राण,
बोलो क्या कहलाती वह |
उत्तर – बिजली
आदि कटे तो गीत सुनाऊँ,
मध्य कटे तो संत बन जाऊँ |
अंत कटे साथ बन जाता,
संपूर्ण सबके मन भाता |
पूरे विश्व में एक यहीं,
सबसे बड़ा महाद्वीप |
भारत-पाक रूस और
इसमें हीं है चीन |
हाल–चाल यदि पूछो उससे,
नहीं करेगा सीधे बात |
सादा लगता है,
पर पेट में रखता दांत |
उत्तर – अनार
शुरू कटने से हूँ मैं पशु,
बीच कटे पर काम |
आखिर कटे तो पक्षी होता
बताओ मेरा नाम |
भैया मैं हूँ तीन पंख का,
चार महीने पाता आराम |
बिजली का प्रवाह मैं सहता,
घंटों मैं तो चलता रहता |
जंगल मेरी जन्मभूमि है,
महफिल मेरा धाम |
सबके होंठ लग कर देती,
सरगम का पैगाम |
एक सींग की ऐसी गाय,
जिता दो उतना हीं खाए |
खाते – खाते गाना गाए,
पेट नहीं उसका भर पाए |
उत्तर – आटा चक्की
ऐसा एक अजब खजाना,
जिसका मालिक बड़ा श्याना |
दोनों हाथों से लुटाता,
फिर भी दौलत बढ़ता हीं जाता |
उत्तर – ज्ञान
मुझको उल्टा करके देखो,
लगता हूँ मैं नौजवान |
कोई पृथक नहीं रहता,
बूढ़ा बच्चा या जवान |
सिर काट दो, मन दिखता हूँ,
पैर काट दो, आदर बना दूँ |
पेट काट दो, कुछ न बताता,
प्रेम से अपना शीश नवाता |
लाल – लाल आँखें,
लंबे – लंबे कान |
रुई का फुहासा,
बोलो क्या है उसका नाम ?
उत्तर – खरगोश
तीन अक्षर का शहर हूँ,
विश्व में प्रसिद्ध हूँ |
अंत कटे तो आग बन जाऊँ,
मध्य कटे तो आरा कहलाऊँ |
हरी हरी मछली के
हरे हरे अंडे |
जल्दी से बूझो पहेली
नहीं तो पड़ेंगे डंडे |
दुम कटे तो सीता,
शीश कटे तो मित्र |
बीच कटे तो खोपड़ी.
पहेली है बड़ी विचित्र |
सुबह सवेरे आता हूँ,
शाम ढले चल जाता हूँ |
मुझे देखकर दिन की शुरुआत,
सभी को रोशन कर जाता हूँ |
एक बूढ़े के बारह बच्चे,
कोई छोटे तो कोई लंबे |
कोई गर्म और कोई ठंडे,
बतलाओ नहीं तो खाओ डंडे |
शरीर है, इसका लंबा-लंबा,
मुख है, कुछ-कुछ गोरा |
पेट में जिसके है काली डंडी,
नाम लिखे हैं वो मेरा |
धरती में मैं पैर छुपाता,
आसमान में शीश उठाता |
हिलता पर कभी न चलता,
पैरों से हूँ भोजन खाता |
डिब्बा देखा एक निराला,
ना ढक्कन ना ताला |
ना है पेंदी, ना है कोना,
बंद है उसमें चाँदी सोना |
उत्तर – अंडा
बिन पावों के चलते देखा,
इत – उत उसको फिरते देखा |
काम विचित्र करते देखा,
जल से उसे मरते देखा |
उत्तर – जूता
पहेली 101
मुझे खाना चाहो तो,
सबसे पहले मुझे तोड़ो |
मेरे अंदर है सुनहरा खजाना,
फ्राई कर के झट से खा लो |
उत्तर – अंडा
रात दिन है मेरा,
घर पर तुम्हारे डेरा |
रोज मीठे गीतों से,
करती नया सवेरा |
उत्तर – गौरया
पानी का मटका,
पेड़ पर लटका |
हवा हो या झटका,
उसको नहीं पटका |
उत्तर – टमाटर
दो अँगुली की है सड़क,
उस पर चले रेल बेधड़क |
लोगों के है काम आती,
जरुरत पड़ने पर खाक बनाती |
उत्तर – माचिस
बिना चूल्हे की खीर बनी,
ना मीठी ना नमकीन |
थोड़ा – थोड़ा खा गए,
बड़े – बड़े शौक़ीन |
उत्तर – चूना
People also ask { FAQ}
ऐसी कौन सी चीज है जिसके पैर नही होते हैं,
फिर भी वह चढ़ती भी है और उतरती भी ?
उत्तर; शराब 🍺
मैं एक आदमी को दो बना देता हूँ मैं क्या हूँ?
उत्तर: आइना, जी हां आपने सही सुना आइना आदमी को डबल कर देता है।
बिना पैर वाला जानवर क्या है?
उत्तर; स्नैक 🐍
ऐसी कौन सी चीज है जो खींचने पर छोटी होती जाती है?
उत्तर; सिगरेट और बीड़ी
वह कौन सी चीज है जो पानी पीते ही मर जाती है?
उत्तर; प्यास
क्या चलता है लेकिन कभी नहीं चलता?
उत्तर ; दिल❤️
वह क्या है जो लोग अपनों से ज्यादा दूसरों से लेते हैं?
उत्तर; नाम आप भी खुद से ज्यादा दूसरों का नाम लेते हो ।
ऐसी कौन सी चीज है जो जागे रहने पर खुली रहती है और सोने पर बंद रहती है?
उत्तर; पलके
वह क्या है जो है तो सोने की मगर सोने से बहुत सस्ती है?
उत्तर; बिस्तर और चार पाई
मेरे नाम में फूल भी है मेरे नाम में फल भी है बताओ मेरा नाम क्या है?
उत्तर; गुलाब जामुन, गुलाब फूल है और जामुन फल है।
ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे पति ले तो पत्नी परेशान पत्नी ले तो पति परेशान?
उत्तर; नसीले पदार्थ
ऐसी कौन सी चीज है जिसे हम काटते हैं पिसते हैं बनाते हैं लेकिन खाते नहीं हैं?
उत्तर; ताश के पत्ते जो बाटे और पिसे जाते हैं लेकिन खाते नहीं
एक लड़का 30 फिट ऊंची सीढ़ी से गिर जाता है फिर भी उसे कुछ भी नहीं होता है बताओ कैसे?
उत्तर; क्योंकि वह अभी भी पहले पायदान पर है।
ऐसी कौन सी चीज है जो धूप में सूखती नहीं है?
उत्तर; कफन
ऐसी कौन सी चीज है जो कभी पुरानी नहीं होती?
उत्तर; शहद क्योंकि वो हजारों सालों तक खराब नहीं होती हैं।
ऐसी कौन सी चीज है जो बढ़ती ही रहती है?
उत्तर; आदते और इच्छाए जो कभी खत्म नहीं होती
ऐसा क्या है जो एक कमरा भर सकता है लेकिन जगह नहीं लेता है?
उत्तर; प्रकाश जो चारो तरफ रोशनी से भर देता है।
ऐसी कौन सी जगह है जहां 100 लोग जाते हैं लेकिन आते 101 हैं?
उत्तर; शादी में क्योंकि साथ में दुल्हन भी तो आती है।
ऐसी कौन सी चीज है जिसे हम छू नहीं सकते?
उत्तर; चांद और तारे जिन्हे हम देख तो सकते हैं लेकिन छू नहीं सकते।
वह कौन सी चीज है जो हमें दिखाई नहीं देती?
उत्तर; हवा या पवन जो महसूस तो होती हैं लेकिन देखती नहीं।
तीन देवताओं की पहेली क्या है?
उत्तर; तीन देवताओं ए, बी और सी को किसी क्रम में सत्य, असत्य और यादृच्छिक कहा जाता है । सच हमेशा सच बोलता है, झूठ हमेशा झूठ बोलता है, लेकिन रैंडम सच बोलता है या झूठ यह पूरी तरह से यादृच्छिक मामला है।
ऐसी कौन सी चीज है जिसे पति पत्नी रात को ही लेना पसंद करते हैं?
उत्तर; इसका सही जवाब ही पर्स
वह कौन सी भाषा है जिसे हम खा सकते हैं?
उत्तर; चीनी , अरबी और भोजपुरी
ऐसी कौन सी चीज है जो हमें जीवन में दो बार फ्री मिलती है लेकिन तीसरी बार नहीं?
उत्तर; दांत।
ऐसा क्या है जो नाम लेते ही टूट जाता है?
उत्तर; चुप्पी
ऐसी कौन सी चीज है जिसको खाने के लिए खरीदते हैं पर खाते नहीं?
उत्तर; प्लेट जिसे हम खरीदते हैं खाने के लिए पर खाते नहीं।
धनयवाद
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